एक घर के मोबाइल नम्बर पर “रॉंग नम्बर” से कॉल आई.. घर की एक औरत ने कॉल रिसीव की तो सामने से किसी अनजान शख्स की आवाज़ सुनकर उसने कहा ‘सॉरी रॉंग नम्बर’ और कॉल डिस्कनेक्ट कर दी.. उधर कॉल करने वाले ने जब आवाज़ सुनी तो वो समझ गया कि ये नम्बर किसी लड़की का है, अब तो कॉल करने वाला लगातार रिडाइल करता रहता है पर वो औरत कॉल रिसीव न करती। फिर मैसेज का सिलसिला शुरू हो गया जानू बात करो न!! मोबाइल क्यूँ रिसीव नहीं करती..? एक बार बात कर लो यार! उस औरत की सास बहुत मक्कार और झगड़ालू थी.. इस वाक़ये के अगले दिन जब मोबाइल की रिंग टोन बजी तो सास ने रिसीव कर लिया.. सामने से उस लड़के की आवाज़ सुनकर वो शॉक्ड रह गई, लड़का बार बार कहता रहा कि जानू! मुझसे बात क्यूँ नहीं कर रही, मेरी बात तो सुनो प्लीज़, तुम्हारी आवाज़ ने मुझे पागल कर दिया है, वगैरह वगैरह… सास ने ख़ामोशी से सुनकर मोबाइल बंद कर दिया जब रात को उसका बेटा घर आया तो उसे अकेले में बुलाकर बहू पर बदचलनी और अंजान लड़के से फोन पर बात करने का इलज़ाम लगाया.. पति ने तुरन्त बीवी को बुलाकर बुरी तरह मारना शुरू कर दिया, जब वो उसे बुरी तरह पीट च
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Showing posts from June, 2019
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ट्विंकल शर्मा के दोषियों पे आक्रोश व्यक्त करती कविता "पूछ रही है एक बेटी आज, " इस भारत की सरकार से "क्या आप कभी बचा पाओगे, "इन दरिंदो के अत्याचार से? "हम बेटियों के जनाजे पे, "क्या सियासी खेल अब खेलोगे, "जीते जी तो खेला है, "क्या मरने पे भी खेलोगे। "चीखी थी, चिल्लाई थी, "मुझे टॉफी चॉकलेट ना खाना है, "छोड़ दो मुझे, बस जाने दो, "मुझे पापा के पास जाना है। "मै तीन साल की बच्ची हूं, "क्या मेरा जिस्म तुम्हे भया है, "इंसानियत इतनी गिर गई, "मेरे जिस्म से भूख मिटाया है। "मेरी चिखे उनके,,,,,, "अंतर्मन को ना भेद सकी, "मर के भी उन दरिंदो की, "वाहसियत को ना रोक सकी। "पहले जिस्म से भूख मिटाया था, "फिर आंखे नोच मुस्कु
मेरे देश का किसान
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"मेरे देश का किसान" "गली में कोई आवाज़ लगा रहा था, " दाल ले लो, चावल ले लो" "ओ भैया ! कैसे दे रहे रहे हो ?" तीसरी मजिल से एक महिला ने आवाज लगाई थी । वह आदमी अपनी साइकिल पर तीन कट्टे चावल और हेंडिल पर दो थैलों में दाल लादे हुए था । "चावल चालीस का किलो है और मसूर सत्तर की किलो है ।" "रुको मैं नीचे आती हूँ ।" कहकर महिला नीचे आने लगी । वह साइकिल लिए धूप में खड़ा रहा । कुछ देर बाद वह बाहर आई । "अरे! भैया , तुम लोग भी न हमें खूब चूना लगाते हो । चालीस रुपये किलो तो बहुत अच्छा चावल आता है और दाल भी महंगी है ...सही - सही भाव लगा लो। " "बहिन जी ! इस से कम न दे सकूँगा । आप जानती नहीं हैं कि चावल और दाल को पैदा होने में सौ से एक सौ बीस दिन लगते हैं । एक किलो चावल पर बीस-तीस लीटर पानी लगता है । हर दिन डर लगता है हमें कि कुछ अनहोनी न हो जाय मौसम की । चार महीने पसीना बहाने के बाद भी कई बार फसल के दाम नहीं मिलते । आप लोग किसानों की बात खूब करते हैं पर कोई नहीं जानता कि हर साल दो लाख किसान मर
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