एक घर के मोबाइल नम्बर पर “रॉंग नम्बर” से कॉल आई.. घर की एक औरत ने कॉल रिसीव की तो सामने से किसी अनजान शख्स की आवाज़ सुनकर उसने कहा ‘सॉरी रॉंग नम्बर’ और कॉल डिस्कनेक्ट कर दी.. उधर कॉल करने वाले ने जब आवाज़ सुनी तो वो समझ गया कि ये नम्बर किसी लड़की का है, अब तो कॉल करने वाला लगातार रिडाइल करता रहता है पर वो औरत कॉल रिसीव न करती। फिर मैसेज का सिलसिला शुरू हो गया जानू बात करो न!! मोबाइल क्यूँ रिसीव नहीं करती..? एक बार बात कर लो यार! उस औरत की सास बहुत मक्कार और झगड़ालू थी.. इस वाक़ये के अगले दिन जब मोबाइल की रिंग टोन बजी तो सास ने रिसीव कर लिया.. सामने से उस लड़के की आवाज़ सुनकर वो शॉक्ड रह गई, लड़का बार बार कहता रहा कि जानू! मुझसे बात क्यूँ नहीं कर रही, मेरी बात तो सुनो प्लीज़, तुम्हारी आवाज़ ने मुझे पागल कर दिया है, वगैरह वगैरह… सास ने ख़ामोशी से सुनकर मोबाइल बंद कर दिया जब रात को उसका बेटा घर आया तो उसे अकेले में बुलाकर बहू पर बदचलनी और अंजान लड़के से फोन पर बात करने का इलज़ाम लगाया.. पति ने तुरन्त बीवी को बुलाकर बुरी तरह मारना शुरू कर दिया, जब वो उसे बुरी तरह पीट च
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Showing posts from October, 2017
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एक माँ और बेटे की करूणमय कहानी
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मैं एक घर के करीब से गुज़र रहा था की अचानक से मुझे उस घर के अंदर से एक बच्चे की रोने की आवाज़ आई। उस बच्चे की आवाज़ में इतना दर्द था कि अंदर जा कर वह बच्चा क्यों रो रहा है, यह मालूम करने से मैं खुद को रोक ना सका। अंदर जा कर मैने देखा कि एक माँ अपने दस साल के बेटे को आहिस्ता से मारती और बच्चे के साथ खुद भी रोने लगती। मैने आगे हो कर पूछा बहनजी आप इस छोटे से बच्चे को क्यों मार रही हो? जब कि आप खुद भी रोती हो। उस ने जवाब दिया भाई साहब इस के पिताजी भगवान को प्यारे हो गए हैं और हम लोग बहुत ही गरीब हैं, उन के जाने के बाद मैं लोगों के घरों में काम करके घर और इस की पढ़ाई का खर्च बामुश्किल उठाती हूँ और यह कमबख्त स्कूल रोज़ाना देर से जाता है और रोज़ाना घर देर से आता है। जाते हुए रास्ते मे कहीं खेल कूद में लग जाता है और पढ़ाई की तरफ ज़रा भी ध्यान नहीं देता है जिस की वजह से रोज़ाना अपनी स्कूल की वर्दी गन्दी कर लेता है। मैने बच्चे और उसकी माँ को जैसे तैसे थोड़ा समझाया और चल दिया। इस घटना को कुछ दिन ही बीते थे की एक दिन सुबह सुबह कुछ काम से मैं सब्जी मंडी गया। तो अचानक मेरी नज़र उसी दस साल के बच
निर्भया के बलात्कारीअफ़रोज़ की रिहाई परआक्रोश व्यक्त करती कविता
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किस भारत पर गौरव कर लूँ, किस भारत की शान कहूँ? किस भारत पर सीना ठोकूं? किसको हिन्दुस्तान कहूँ? गंगा के दामन में हमने ख़ूनी नाले छोड़ दिए, गीता के अध्यायों में,सब काले पन्ने जोड़ दिए, आज खड़ा धरती पर ऊंचे आसमान पर रोता हूँ, शर्म लिए आँखों में अपने संविधान पर रोता हूँ, शर्म करो भारत वालों तुम अपने लिखे विधानों पर, शर्म करो इन्साफ संभाले इन लंगड़े दीवानो पर, शर्म करो तुम पंगू होते अपने इन भुजदंडों पर, शर्म करो लाचार बनाते कानूनी पाखंडों पर, तुमने अपराधी को बालिग़ नाबालिग में बाँट लिया, चीखों की नीलामी कर दी संविधान को चाट लिया, उसको नाबालिग कहते हो, जो वहशत का गोला था, अब साली तू मर जिसने ये रॉड डालकर बोला था, कान फाड़ती चीखों पर भी जो खुलकर मुस्काया था, जिसके सिर पर भूत हवस का बिना रुके मंडराया था, वाह अदालत तूने इन्साफों का दर्पण तोड़ दिया, नर पिशाच को दूध पिलाकर खुल्लम खुल्ला छोड़ दिया, अरे! निर्भया की चीखों पर किंचित नही पसीजे तुम, नाबालिग था!2 बस उस पर ही रीझे तुम, सं
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