एक घर के मोबाइल नम्बर पर “रॉंग नम्बर” से कॉल आई.. घर की एक औरत ने कॉल रिसीव की तो सामने से किसी अनजान शख्स की आवाज़ सुनकर उसने कहा ‘सॉरी रॉंग नम्बर’ और कॉल डिस्कनेक्ट कर दी.. उधर कॉल करने वाले ने जब आवाज़ सुनी तो वो समझ गया कि ये नम्बर किसी लड़की का है, अब तो कॉल करने वाला लगातार रिडाइल करता रहता है पर वो औरत कॉल रिसीव न करती। फिर मैसेज का सिलसिला शुरू हो गया जानू बात करो न!! मोबाइल क्यूँ रिसीव नहीं करती..? एक बार बात कर लो यार! उस औरत की सास बहुत मक्कार और झगड़ालू थी.. इस वाक़ये के अगले दिन जब मोबाइल की रिंग टोन बजी तो सास ने रिसीव कर लिया.. सामने से उस लड़के की आवाज़ सुनकर वो शॉक्ड रह गई, लड़का बार बार कहता रहा कि जानू! मुझसे बात क्यूँ नहीं कर रही, मेरी बात तो सुनो प्लीज़, तुम्हारी आवाज़ ने मुझे पागल कर दिया है, वगैरह वगैरह… सास ने ख़ामोशी से सुनकर मोबाइल बंद कर दिया जब रात को उसका बेटा घर आया तो उसे अकेले में बुलाकर बहू पर बदचलनी और अंजान लड़के से फोन पर बात करने का इलज़ाम लगाया.. पति ने तुरन्त बीवी को बुलाकर बुरी तरह मारना शुरू...
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खुशनसीब थे वो लोग जिनका जन्म 1960 से 1995 में हुआ था
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खुशनसीब थे वो लोग जिनका जन्म 1960 से 1995 में हुआ था
हम सभी लोग इस धरती पर जन्म लेकर कई साल बीत चुके होंगे। हमारे सभी लोगों के पास जीवन से जुड़े कुछ अनमोल चीजे, यादें होती है और इनमें से कई यादें हमारे बचपन से जुड़ी होती है। हम सभी लोग हमारे बचपन को हम कभी भी नहीं भूलते। हम सभी लोग बचपन में बहुत खेले कूदे यह हम सभी को मालूम है। कई लोग अपने बचपन की बातें वह कहीं लिखकर रखते हैं तो कई अपने दिमाग में लिखकर रखते हैं।मुझे अपने बचपन के यादें बहुत अच्छे लगते हैं आपको अगर आप के बचपन के यादे अच्छे लगते हैं तो नीचे कमेंट करके बताना। तो आज हम ऐसे ही उन लोगों के बारे में बताने जा रहे हैं कि जिनका जन्म 1960 से 1995 में हुआ था, तो चलिए जानते हैं।
तो चलिए याद करते हैं कुछ बचपन की बातें :-
1. बात उन दिनों की है जब हम 5-6 साल के थे उस काल में पैसों का चलन होता था। जब 5 से 10 पैसे में हमको वह सारी चीजें मिलती थी जिससे हर बच्चा खुश होता था।

2. सबसे पहले हम उस 5 से 10 पैसों का हम सफेद प्लास्टिक में लिपटी हुई छोटी-छोटी ऑरेंज की टॉफी खरीदते थे और भागते भागते हुए घर आते थे।
3. दूसरी बात याद करते हैं तो वे है पारले-जी चॉकलेट उन दिनों में पारले-जी टॉफी या चॉकलेट बहुत ही फेमस था और हम उन पैसों से पारले-जी टॉफी 50 पैसों में 2 से 4 खरीदते थे।

4. जब मैं छोटा था, शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी। मुझे याद है मेरे घर से स्कूल तक का वो रास्ता, क्या क्या नहीं था वहां चाट के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले, सब कुछ अब वहां मोबाइल शॉप, विडियो पार्लर हैं, फिर भी सब सूना है। शायद अब दुनिया सिमट रही है।
5. चाहे वह डेरी मिल्क, केडबरी या किटकैट जैसे चॉकलेट क्यों ना हो हमें उन दिनों के ही चॉकलेट बहुत ही अच्छे लगते थे। उन दिनों के चॉकलेट में अपनापन महसूस होता था जो आज नहीं होता है। हमारे सारे बच्चे आज डेरी मिल्क, केडबरी या किटकैट जैसे चॉकलेट से ही उन्हें राहत मिलती है क्योंकि यह नया जमाना है।
6. हम सभी लोग स्कूल में जाते थे और स्कूल में बैठते थे लेकिन हमारा मन बाहर की तरफ ही खींचता था। जब स्कूल छूटेगा और हम बर्फ के गोले खाने के लिए कब दौड़ेंगे यही सब हमारे मन में चलता रहता था।

7. जब मैं छोटा था, तब खेल भी अजीब हुआ करते थे। छुपन छुपाई, लंगडी टांग, पोषम पा, कट केक, टिप्पी टीपी टाप,अब internet, office, से फुर्सत ही नहीं मिलती। शायद ज़िन्दगी बदल रही है।

आप अपने बचपन में क्या-क्या खाए, पिए या खेले ये सभी बातें आप हमें कमेंट में बताइए, ताकि हमें भी एहसास हो कि आपको भी बचपन की यादें आती है।
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